मुजफ्फरनगर (अलर्ट न्यूज)। राष्ट्रीय विश्वकर्मा कामगार संगठन ने महामहिम पूर्व राष्ट्रपति स्व0 ज्ञानी जैल सिंह की 18वीं पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।
जिलाध्यक्ष सेवाराम धीमान ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी इस महान राष्ट्र के एक महान राष्ट्रपति रहे है। ज्ञानी जी का जन्म पंजाब में संधवा नाम के एक छोटे से गंाव में 5 मई 1916 को विश्वकर्मा वंश के रामगढिया के साधारण परिवार में माननीय श्री स0 किशन सिंह जी के तीसरे पुत्र के रूप में हुआ। ज्ञानी जी का असली नाम जनरैल सिंह था।
ज्ञानी जी बचपन से ही होनहार प्रतिभाशाली व गुणी थे। ज्ञानी जी को अपनी मां के प्रति बडी श्रद्धा और प्रेम था। ज्ञानी को उनकी मंा ने उन्हें विशेष रूप से तीन बातों की शिक्षा दी थी- परमात्मा, अपनी माता और मातृभूमि के लिए सच्चा प्रेम इन्हीं बातों की प्रेरणा से ज्ञानी जी ने 1928 को पंजाब रियासत प्रजा-मंडल की स्थापना की और जब 23 मार्च 1931 भारत मां के तीन सपूतों-भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को ब्रिटिश सरकार ने फंासी दे दी तो उनके हृदय में देश प्रेम की ज्वाला भडक उठी और उन्हें अंग्रेजो और राजाओं से नफरत हो गई। उन्होंने कहा कि ज्ञानी जैल सिंह जी समाज के लिए समर्पित रहे है।
इस दौरान श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में मुख्य रूप से सचिन धीमान, नरेश कुमार विश्वकर्मा, धर्मेन्द्र विश्वकर्मा एडवोकेट, राजवीर सिंह, सतीश धीमान, ब्रहमदत्त धीमान, सनील धीमान, रणपाल गुर्जर, शुभम सहित सैंकडों समाज के लोग मौजूद रहे।
जिलाध्यक्ष सेवाराम धीमान ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह जी इस महान राष्ट्र के एक महान राष्ट्रपति रहे है। ज्ञानी जी का जन्म पंजाब में संधवा नाम के एक छोटे से गंाव में 5 मई 1916 को विश्वकर्मा वंश के रामगढिया के साधारण परिवार में माननीय श्री स0 किशन सिंह जी के तीसरे पुत्र के रूप में हुआ। ज्ञानी जी का असली नाम जनरैल सिंह था।
ज्ञानी जी बचपन से ही होनहार प्रतिभाशाली व गुणी थे। ज्ञानी जी को अपनी मां के प्रति बडी श्रद्धा और प्रेम था। ज्ञानी को उनकी मंा ने उन्हें विशेष रूप से तीन बातों की शिक्षा दी थी- परमात्मा, अपनी माता और मातृभूमि के लिए सच्चा प्रेम इन्हीं बातों की प्रेरणा से ज्ञानी जी ने 1928 को पंजाब रियासत प्रजा-मंडल की स्थापना की और जब 23 मार्च 1931 भारत मां के तीन सपूतों-भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को ब्रिटिश सरकार ने फंासी दे दी तो उनके हृदय में देश प्रेम की ज्वाला भडक उठी और उन्हें अंग्रेजो और राजाओं से नफरत हो गई। उन्होंने कहा कि ज्ञानी जैल सिंह जी समाज के लिए समर्पित रहे है।
इस दौरान श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में मुख्य रूप से सचिन धीमान, नरेश कुमार विश्वकर्मा, धर्मेन्द्र विश्वकर्मा एडवोकेट, राजवीर सिंह, सतीश धीमान, ब्रहमदत्त धीमान, सनील धीमान, रणपाल गुर्जर, शुभम सहित सैंकडों समाज के लोग मौजूद रहे।
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