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Wednesday, September 12, 2012

ममता के गढ़ में मुलायम की 'साइकिल'

लखनऊ. कोलकाता में सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा है। दो दिनों तक यह अधिवेशन चलेगा। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव यूपीए-2 पर जमकर बरसे। यूपीए-2 को आज तक की सबसे भ्रष्ट सरकार बताया। इससे मुलायम के तीसरे मोर्चे की अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। मुलायम सिंह यादव ने अधिवेशन में कहा कि पं. बंगाल में लोकसभा चुनाव में खाता खोलेंगे। घोषणापत्र के सारे वादे पूरे करेंगे । अब कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है। 
सपा लखनऊ से दिल्ली पहुंचने की रणनीति 12 और 13 सितंबर को कोलकता में तय करेगी। कोलकता की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सपा लोकसभा चुनाव व केन्द्र की यूपीए सरकार के साथ रिश्तों पर मंथन करेगी। पार्टी की नजर 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है। उत्तर प्रदेश में बहुमत हांसिल करने के बाद पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारणी की यह पहली बैठक है। इस बैठक में अगले लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद तीसरे मोर्चे को लेकर व्यक्त की जा रही संभावना पर भी चर्चा होगी। हालांकि यह दूर की कौड़ी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कोलकता में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक बेहद अहम है। यूपी में अपने बलबूते बहुमत की सरकार बनाने के बाद पार्टी राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका को और अहम बनाने की रणनीति बनाना चाहती है। पार्टी यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से ज्यादा से ज्यादा पर अपना झंडा गाड़ना चाहती है। फिलहाल सपा, कांग्रेस से अपने रिश्ते बहुत ज्यादा खराब करने के मूड में नही है। जबकि मुलायम सिंह यादव पिछले डेढ़ दशक से तीसरे मोर्चे को लेकर बेहद संजीदा है।
असल में सिर्फ तीसरा मोर्चा ही किसी गैर कांग्रेसी या गैर भाजपाई को प्रधानमंत्री की कुर्सी दिला सकता है। सपा के रणनीतिकारों का मानना है कि प्रदेश में अखिलेश के सीएम बनने के पीछे यही तर्क था कि पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह को केन्द्र में अपनी भूमिका को और प्रभावशाली बनाना चाहिए। सपा के अंदर यूपी हमारी है अब दिल्ली की बारी है नारा उछाला जा रहा है। पोस्टर बैनर में पार्टी इसे लक्ष्य 2014 कहती है। पिछले दिनों मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि लोकसभा चुनाव में गैर कांग्रेस और गैर भाजपा दलों को एक हो जाना चाहिए। कांग्रेस या भाजपा को बहुमत नहीं मिलने वाला लिहाजा केन्द्र में तीसरे मोर्चे की सरकार बनेगी।
यूपी में सरकार बनाने के बाद से सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह लगातार दोहरा रहें है कि उनकी पार्टी प्रदेश में कम से कम 60 सीटें जीतेगी और केन्द्र की अगली सरकार बिना सपा के नही बनेगी। गौरतलब है कि 1996 के बाद से सपा केन्द्र की सरकार से दूर है। 2004 में सपा ने यूपीए में शामिल होने की कोशिश भी की थी लेकिन यूपीए के नेताओं ने सपा को दूर रखा। हालांकि परमाणु समझौते पर वामदलों के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन एक पहली सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद लोकसभा में हुए विश्वास प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार के साथ नजर आई सपा ने इस बार राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी कांग्रेस का समर्थन किया। गौरतलब है कि राष्ट्रपति उम्मीदवार के मुद्दे पर सपा ने तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष व पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी को करारा झटका दिया था।
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