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Wednesday, September 19, 2012

आखिर कहां गया स्टेशन के सामने से सतीश होटल, स्टेषन के सामने चौडी सडक को देखकर हर कोई सकते में

डीएम के सख्त रवैये और महाबली के खौफ से सडके हुई चौडी

मुजफ्फरनगर (अलर्ट न्यूज)। महाबली का खौफ जहां नगरवासियों सहित दुकानदानों व व्यापारियों के दिलों में दिखाई देने लगा है। अतिक्रमण हटाये जाने को चले महाबली की आवाज को सुनते ही दुकान अपने दुकानों के सामने किये गये अतिक्रमण को अपने खर्च पर स्वयं ही हटाने में जुट गये है। जिसकी बानगी  शहर की सडकों पर देखने को मिल रही है।
उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर शहर को अतिक्रमण मुक्त कराये जाने एवं छोटी से बारिश में शहर के ताबाल में तबदिल होने से बचाये जाने को लेकर दुकानदारों द्वारा अपनी दुकानों व प्रतिष्ठानों के बाहर किये गये अतिक्रमण को हटाने के लिए जिलाधिकारी के आदेश पर अतिक्रमण हटाओं अभियान चलाया जा रहा है। इस दौरान जहां अधिकांश शहर के व्यापारियों और व्यापारी नेताओं के अलावा नगरवासियों का अतिक्रमण हटाओं अभियान को पूर्ण सहयोग मिल रहा है वहीं दूसरी ओर अतिक्रमण हटाने को चला प्रशासन के महाबली की जिस तरफ से गुजरने के लिए आवाज आती है उधर से ही दुकानादारों व व्यापारियों में हडकम्प मचग जाता है और एक अजीब सा खौफ मन में दिखाई दे रहा है। जिसकी बानगी शहर की सडकों पर दिखाई दे रही हैं यह महाबली नहीं बल्कि डीएम के सख्त रवैये का खौफ है जो दुकानदार पिछले कई वर्षों से सडकों पर अतिक्रमण कर अपनी दुकानों को आगे बढाकर सडको पर सामान लगाकर बेच रहे थे वह आज स्वयं ही अपनी दुकानों को तोडते देखे जा रहे है। नगर की सडके चौडी व साफ खुली दिखाई दे रही है जिन सडकों पर पिछले कइ्र दशकों से चलने के लिए भारी मशक्कत कर घंटों अतिक्रमण से जुझते हुए गुजरना होता था वह सडके आज खुली और बिना जाम के दिखाई दे रही है। डीएम के सख्त रवैये को देखते हुए दुकानों ने अतिक्रमण को हटाना उचित ही समझ लिया है। जिसका जीता जागता उदाहरण बुधवार को नगर में रेलवे स्टेशन के सामने दिखाई दिया जब डीएम का महाबली रेलवे रोड की तरफ सुबह के सामने चलने को तैयार हुआ। जैसे ही रेलवे स्टेशन की ओर महाबली के आने की आवाज सुनाई दी वैसे ही महाबली का खौफ दुकानदारों में ऐसा बैठा कि जो लोग पिछले कई दशकों से सडकों किनारे सडकी की कच्चे हिस्से पर अतिक्रमण कर अपनी दुकानों के सामने टीनशेड डालकर दुकानों का सामान लगाकर सामना बेचते थे तथा चाय आदि की दुकाने चलाते थे वह अपनी दुकानों में हथौडा बजवाते देखे गये। जिनमें से सतीश होटल सहित उसके बरबार में चाय की दुकान व अन्य ढाबे वालों को अपनी दुकाने तोडता देख वहां से गुजरने वाले यही पूछते देखे जा रहे थे कि भाई साहब ये सतीश होटल यहां से कहां चला गया है सतीश होटल सहित अन्य दुकानदारों से भी यही बात स्टेशन पर पहुंचने वाले डेली पैसंेजरों को पूछते देखा गया मगर सभी दुकानदारों का जवाब एक ही मिला की साहब ये डीएम साहब के फरमान है यदि हमने अपनी दुकानों के आगे से अतिक्रमण नहीं हटवाया तो बुलडोर हमारी दुकाने तो तोडेगा ही साथ में तोडने का हर्जाना भी वसूलेगा इसलिए हम ये दुकाने तोड रहे है।
रेलवे स्टेशन के सामने बने सतीश होटल व चाय की दुकानों से हटाये गये टीन शेड के हटाते ही सडके दोगुनी दिखाई देने लगी है। जिससे लगने लगा है कि सडकों पर आये दिन लगने वाला जाम से तो लोगों को निजात मिलेगी ही साथ ही बारिश में भरने वाले पानी से भी शहरवासियों को राहत मिलिने के साथ साथ चैन की सांस लेनी हेागी। क्योंकि जब शहर की नाली व नाले साफ होंगे तो बरसात में पडने वाला बारिश का पानी भी नहीं रूकेगा।
वहीं दूसरी ओर नगरवासियों को जिलाधिकारी द्वारा चलाये गये अतिक्रमण हटाओं अभियान से नगर की सडके चौडी दिखाई देने के बाद बधाई देते देखा जा रहा है। हर आदमी जिलाधिकारी सुरेन्द्र सिंह के इस कार्य की प्रशन्सा कर रहा

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