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Saturday, September 8, 2012

चौधरी टिकैत के बाद टिकैत परिवार दिखायेगा सिसौली में अपनी ताकत

रिकार्ड तोड भीड इकटठी करने के लिए फुलप्रुफ योजना

सचिन धीमान
मुजफ्फरनगर (अलर्ट न्यूज)। 6 अक्टूबर को सिसौली में एक बार फिर जबरदस्त भीड होने की सम्भावनाएं जताई जाने लगी है। विश्वस्त सूत्रों की माने तो 6 अक्टूबर को होने वाली भीड पूर्व के कई रिकार्ड भी तोड सकती है। भाकियू से जुडे रणनीतिकारों की माने तो 6 अक्टूबर भारतीय किसान यूनियन को एक नया जीवनदान देेगा।
बताते चले कि 6 अक्टूबर भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष रहे और बालियान खाफ के चौधरी रहे किसान मसीहा चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत का जन्मदिवस है। भाकियू से जुडे लोग इस दिन को राष्ट्रीय किसान दिवस की तरह मनाने में जुट गये है। सिसौली में रणनीतिकारों ने सोची समझी योजना के तहत 6 अक्टूबर को चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत की प्रतिमा का सिसौली के किसान भवन में अनावरण कराने का कार्यक्रम बनाया है। प्रतिमा का अनावरण कराने के लिए उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कार्यक्रम लिया गया है साथ ही केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पंवार का भी कार्यक्रम लिया जा रहा है। उनके अतिरिक्त विभिन्न राजनैतिक दलों के बडे नेताओं को भी निमंत्रण भेजा गया हैं उधर दक्षिण के बडे किसान नेता स्व. प्रोफेसर नजूंडा स्वामी की प्रतिमा भी किसान भवन में लगायी जा रही है। प्रोफेसर नजूडा स्वामी के कर्नाटक राज्य रैयत संघ से जुडे हजारांे किसान अपने किसान मसीहा को उत्तर भारत में मिल रहे इस सम्मान का भागीदार बनने के लिए सिसौली आने का कार्यक्रम बना रहे है। वहीं साथ ही एक ओर किसान नेता स्व. चौधरी देवीलाल की प्रतिमा भी सिसौली के किसान भवन में लगाने का कार्यक्रम बनाया गया है।  देवीलाल की प्रतिमा लगाये जाने के इस कार्यक्रम में हरियाणा से इनोलो से जुडे हजारों किसान 6 अक्टूबर को ओमप्रकाश चौटाला के साथ सिसौली में अपनी उपस्थिति दर्ज करायेंगे।
रणनीतिकारों की सोची समझी नीति के चलते सिसौली में 6 अक्टूबर को पांव रखने की भी जगह खाली ना रहेंगी। सभी घरों और घेरों में लोगों के बैठने, खाने, पीने व सोने के इन्तजाम की तैयारियां अभी से ही चलने लगी है।
रणनीतिकारों का मानना है कि प्रदेश के मुखिया को बुलाने के बाद आसपास के कई जिलों से सपा से जुडे बडे नेताओं के साथ आम कार्यकर्ता और आमजन भी हजारों की संख्या में सिसौली पहुंचेंगे। खासकर मुस्लिम बडी संख्या में प्रदेश के मुखिया के दिदार करने के लिए पहुंचेंगे। पुलिस प्रशासन भी सादी वर्दी में बडी संख्या में भीड के बीच में मौजूद रहेगा। नजूडा स्वामी के संगठन से जुडे हजारों किसान दक्षिण राज्यों से आयेंगे। उन किसानों का अनुशासन देखने योग्य होता है। वहीं चौ. देवीलाल को सम्मान देने के लिए उत्तर प्रदेश के इस कार्यक्रम में चौ. ओमप्रकाश चौटाला धनबल और जनबल की कोई समस्या उत्पन्न न होने देंगे। उनसे जुडे हजारों लोग हरियाणा से सिसौली पहुंचेंगे।
वहीं भाकियू के पूर्वांचल के जिलों से हजारों कार्यकर्ता सिसौली आयेंगे।
बालियान खाप के मुखिया रहे चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत को याद करने के लिए बालियान खाप के 84 गांव से जुडे लोग भी बहुतायत में सिसौली पहुंचेंगे और इस कार्यक्रम में होने वाले खर्च में भी हिस्सेदारी करेंगे।
भाकियू से जुडे लोग भी इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थित दर्ज करायेंगे।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सिसौली में चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत के बाद भले ही उन्हीं के जन्मदिवस के नाम पर कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा हो। परंतु भीड चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत के सामने होने वाली  किसान पंचायतों से ज्यादा ही होने की सम्भावना है और यह एक प्रकार से जहां चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत को किसानों व आमजनों की भावभीनी श्रद्धांजलि होगी वहीं मृत प्रायः हो रही भाकियू को भी एक नई संजीवनी देने का काम करेगी। इस कार्यक्रम के बाद भाकियू का संगठन मजबूत होगा वहीं किसान हित में भी यह लाभप्रद रहेगा। किसानों की आवाज मुखर करने के लिए किसान संगठनों का बलशाली बने रहना आवश्यक हैं।
दूसरी ओर दूरदृष्टि रखने वाले लोगों का कहना यह भी है कि किसान संगठन मजबूत तो हो परंतु जब यह मजबूती किसान हित में न कर अपने हितों की रक्षा के लिए इस्तेमाल की जाने लगती है तो समस्या उत्पन्न होती है ओर इतिहास पर नजर डाली जाये तो अभी तक देखने में यही आया है कि संगठन की ताकत का लाभ उठाकर बहुत से लोग किसानों को बेच अपनी दुकान चलाने का काम करते है।
भाकियू व बालियान खाप से जुडे लोगों का कहना है कि चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत के बाद उनकी जिम्मेदारियों को सम्भालने वाले बालियान खाप के मुखिया और भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत जहां बहुत ही ईमानदार और सरल स्वभाव के है वहीं वे बेईमान और भ्रष्टाचार से जुडे लोगों को कतई भी पसंद नहीं करते है और यही एक बात भारतीय किसान यूनियन के पक्ष में जाती है कि उसका राष्ट्रीय अध्यक्ष किसानों की समस्याओं को जहां बखूबी पहचानता है वहीं अपने खाटी अंदाज के चलते उनके हितों से किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकता।
उधर दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन और बालियान खाप द्वारा 6 अक्टूबर को आयोजित किये जा रहे इस कार्यक्रम से रालोद से जुडे लोगों की नींदे उडने लगी है। राजनैतिक स्तर पर किसानों की रहनूमाई करने का दावा करने वाले रालोद पदाधिकारियों को चिन्ता सताने लगी है कि भाकियू की बढती ताकत आगे चलकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकती है।
सूत्रों की माने तो रालोद से जुडे लोग यह सोचकर परेशान है कि भाकियू के चौ. राकेश टिकैत राजनैतिक सोच रखते है और राजनीति में आगे आना चाहते है। वह चुनाव भी लड चुके है। 2014 में भाकियू की बढी ताकत रालोद को नुकसान पहुंचा सकती है। पूर्व में भी भाकियू और रालोद के बीच में कई बार खाईयां गहरी देखने को मिली है। हालांकि जब भी चौ. टिकैत पर कभी भी कोई मुसीबत की घडी आयी रालोद मुखिया चौ. अजीत सिंह ने दलबल के साथ चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत का साथ दिया था।
अब देखने वाली बात होगी कि यह दोनों किसान ताकते आगे चलकर एक होती है या एक दूसरे के रास्ते की रूकावट बनने का काम करती है। कुछ भी हो परंतु जिस प्रकार भाकियू के रणनीतिकारों ने अपनी नीति बनायी है उसके चलते 6 अक्टूबर भाकियू के लिए एक नई ताकत का संचार कराने वाला दिन बनने जा रहा है।

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