मिर्जापुर. यहां एक व्यक्ति को लड़कियों से छेड़छाड़ का विरोध इतना मंहगा पड़ा कि उसे कई दिन तक बेड़ियों में कैद रहना पड़ा। मिर्जापुर के एक गांव में पुलिस के खौफ से ग्रामीणों ने एक व्यक्ति को कई दिनों तक बेड़ियों में जकड़े रखा। वह गरीब है और मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करता है।
मानवता को कलंकित करने वाली यह घटना मिर्जापुर के मडिहान थाना क्षेत्र के लूसा गांव की है। यहां के बद्री यादव की पत्नी इन्द्रावती गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में भोजन बनाने का काम करती हैं। उस स्कूल में लड़कियों से छेड़छाड़ का मामला सामने आया था। छेड़छाड़ का आरोप स्कूल के ही टीचर पर था। स्कूल प्रशासन मामले को दबाने में लगा था। बद्री ने आवाज उठाई और हंगामा करने लगा।
हेडमास्टर ने शिकायत कर दी। इस पर दरोगा बद्री के घर पहुंचा और परिवार के लोगों को उनके हांथ-पैर बांधकर रखने का फरमान सुना दिया। ग्रामीणों ने घर वालों के सहयोग से बद्री के हाथ-पैर बेड़ियों में जकड़ दिए।
तीन बच्चों का पिता बद्री मानसिक रूप से थोडा कमजोर है। लेकिन उसे अस्पताल पहुंचाने के बजाय बेड़ियों में जकड़ कर रखा गया है। बद्री की मां ने पहले तो अपने बेटे के बारे में कहा कि उसका दिमाग सही नहीं है। लेकिन अंतत: मां की ममता आंखों से आंसू बन कर छलक पड़ी और उन्होंने माना कि पुलिस की डर से वह कुछ नहीं कर पा रही हैं। मां की बेबसी और उसे रोता देख बेड़ी में जकड़े बेटे ने मां को ढांढस बंधाया। दोनों गले मिलकर रो पड़े। गांव के लोग पुलिस के भय से तमाशबीन बने रहे।
मिर्जापुर के एस पी सुरेश चंद्र पाण्डेय का कहना है कि बद्री मानसिक रूप से विक्षिप्त है और वह कुछ ऐसा-वैसा न कर दे इसलिए परिवार वालों ने एहतियातन उसे बेडि़यां पहना दी होंगी।
मामला सामने आने के बाद पुलिस ने बद्री को मिर्जापुर अस्पताल में चेक अप के लिए भिजवाया है।
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