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Wednesday, September 12, 2012

देशवाल खाप ने ढूंढा चौधरी, राठी गौत्र का चौधरी लापता?

देशवाल खाप को मिला चौधरी, राठी गौत्र को अब भी नहीं?

सचिन धीमान
मुजफ्फरनगर(अलर्ट न्यूज)। देशवाल खाप को 125 साल बाद बिरादरी का नेतृत्व करने के लिए चौधरी मिल गया है लेकिन राठी गौत्र आज भी बिना चौधरी के अपना नेतृत्व कर रही है जिस कारण उनका औचित्य बिरादरी की पंचायतों व सर्वखाप पंचायतों में शून्य के बराबर है।
उल्लेखनीय है कि जाट बिरादरी की देशवाल खाप चौधरी की पगडी पिछले 125 सालों से बंद कमरे में रखी थी और खाप के जिम्मेदार लोगों ने पिछले 125 सालों से खाप का कोई चौधरी भी नहीं चुना था जिस कारण देशवाल खाप के जिम्मेदार लोग बिना चौधरी के नेतृत्व में ही विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों सहित बिरादरी की पंचायतों में भाग लेते थे परंतु देशवाल खाप के लोगों को बिरादरी की पंचायतों में उस समय नीचा देखना पडता था जब देशवाल खाप कोे बिना चौधरी की होने के कारण देशवाल खाप के जिम्मेदार लोगों को बिरादरी की पंचायतों व सर्वखाप पंचायतों में बोलने का अधिकार नहीं दिया जाता था और उन्हें बोलने से रोकते हुए बिरादरी की पंचायतों में मात्र खाप के चौधरी पंचायत में बात रखने को कहा जाता था। इस कारण देशवाल खाप के जिम्मेदार लोग बिरादरी की पंचायत में कोई चौधरी न होने के कारण अपनी बात रखने से वंचित रह जाते थे।
सूत्रों की माने तो देशवाल खाप के उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा महाराष्ट्र में भी देशवाल खाप के लोगों रहते है। इतना ही नहीं मुजफ्फरनगर के थाना छपार क्षेत्र के ग्राम बसेडा में भी देशवाल खाप के सबसे ज्यादा परिवार निवास करते है।
सूत्रों के माने तो देशवाल खाप के चौधरी अमीचन्द का 125 साल पहले देहान्त हो गया था जिसके बाद उनके बडे बेटे भरत सिंह को देशवाल खाप की पगडी पहनायी जानी थी उसी बीच उनके छोटे भाई कूडे सिंह का देहान्त हो जाने के कारण देशवाल खाप के चौधरी की पगडी को एक कमरे में बंद कर दिया गया था। जिसके बाद देशवाल खाप के जिम्मेदार लोगों ने 125 सालों तक अपनी खाप का कोई चौधरी नहीं बनाया और 125 सालों तक देशवाल खाप बिना चौधरी के रही। विगत दिनों जनपद के थाना चरथावल क्षेत्र के ग्राम सिलाजुड्डी में देशवाल खाप की एक पंचायत बुलायी गयी जिसमें देशवाल खाप के चौधरी को पगडी पहनाने का निर्णय लेने के बाद देशवाल खाप के पूर्व चौधरी अमीचन्द  के ही पौत्र राजेन्द्र सिंह को देशवाल खाप की बंद कमरे में रखी पिछले 125 सालों से पगडी को पहनानकर अपना चौधरी ढूंढ लिया।
वहीं जाट बिरादरी में राठी गौत्र भी ऐसी ही है जिसमें राठी गौत्र के लोगों का नेतृत्व करने के लिए भी कोई चौधरी नहीं है। जबकि मुजफ्फरनगर के साथ साथ उत्तर प्रदेश के बिजनौर, बडौत सहित पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में भारी मात्र में राठी गौत्र के लोगों निवास करते है परंतु आज तक राठी गौत्र भी बिना चौधरी के नेतृत्व में ही समाजिक कार्यक्रमों व बिरादरी की सर्वखाप पंचायतों में भाग ले रही है और जब भी इन खापों के लोग बिरादरी की बैठकों व सर्वखाप पंचायतों में भाग लेते थे तो इनसे चौधरी के बारे में पूछा जाता कि आपके गौत्र का कौन चौधरी है और इन्हें यही कहकर बैठा दिया जाता था कि बैठक में चौधरी को बोलने का अधिकार दिया जायेगा। जबकि ऐसा नहीं है कि राठी गौत्र के लोगों में बडे बडे सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित राजनेता भी है जो राजनीति में भी सक्रिय है। परंतु भी इन्हें राठी गौत्र के लोगों का चौधरी न होने की बात राठी गौत्र के लोगों को समय समय पर खलती रहती है।
सूत्रों की माने तो काफी खोजबीन करने के बाद राठी गौत्र के लोगों को आज तक अपने गौत्र के चौधरी के बारे में कुछ पता नहीं चल सका है और वह आज भी अपने गौत्र के चौधरी की खोज में जुटा है। राठी गौत्र को चौगामा खाप के अन्तर्गत माना जाता है। परंतु जब इस गौत्र के चौधरी की बात की जाती है तो ढूंढा भी नहीं मिलता है। यदि देशवाल खाप को उसका चौधरी नियुक्त कराये जाने की बात पर गौर की जाये तो उसमें कहीं न कहीं किसान मसीहा एवं बालियान खाप के चौधरी स्व. महेन्द्र सिंह टिकैत का ही योगदान के बाद ही देशवाल खाप के लोगों को देशवाल खाप के चौधरी के रूप में पहचान मिल सकी। अब राठी गौत्र के लोगों को उनके चौधरी की पहचान भी भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत करा सकते है।
वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के मंडल संयोजक विकास बालियान जोकि खाप पंचायतों सहित बिरादरी की सर्वखाप पंचायतों व सामाजिक कार्यक्रमों व बैठका में भाग लेते रहते है का कहना है जब उन्होंने राठी गौत्र के राजनैतिक व अन्य सामाजिक लोगों से बातचीत की तो पता चला कि काफी प्रयास के बार राठी गौत्र के लोगों के चौधरी के ग्राम टिकरी में निवास करने की बताई गयी है जो टिकरी गांव के ही रहने वाले थे।

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